दिवाली खुशियों का त्यौहार है.....
हर घर में खुशियों के दीप जगमगाते hain...
फिर क्यूँ उसकी आँखों में ग़मों के आंसू टिमटिमाते हैं....
चलो आज उनके आंसू पोंछ उन्हें भी हँसाते है...
उनकी खुशियों का कारण बन..
दिवाली खुशियों से मनाते हैं...
दिवाली खुशियों का त्यौहार है ......
सारा शहर रोशनी से जगमगाता है...
फिर क्यूँ उसकी कुटिया में अँधेरा नज़र आता है....
चलो आज एक दीप उनकी कुटिया में जलायें....
उनकी खुशियों का कारण बन
दिवाली खुशियों से मनाये....
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
रिश्तों के मेले लगे हैं...
मिलने मिलाने के रेले लगे हैं..
फिर क्यूँ वो अकेले खड़े है..
चलो आज उनसे भी मिल कर आते हैं...
उनकी खुशियों का कारण बन...
दिवाली खुशियों से मनाते हैं.
दिवाली खुशियों का त्यौहार है....
पटाखों की गूंज से ज़र्रा ज़र्रा गूंज रहा है...
फिर क्यूँ उनकी कुटिया में सन्नाटा बिखरा पड़ा है...
चलो आज पटाखों का लुफ्त उनसे भी उठवाते हैं...
चकरी को उनके आँगन में फोड़ते हैं..
अनार से उनके द्वार की रौनक बढ़ाते हैं..
उनकी खुशियों का कारण बन....
दिवाली खुशियों से मनाते हैं....
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
लड्डू जलेबी रसमलाई हमने है बहुत खाई...
वो देख कर हमें दूर से ललचते हैं...
चखने को तरसते हैं आँखों से आंसू बरसते हैं...
चलो आज लड्डू का स्वाद उन्हें भी चखाते
रसमलाई से उनका स्वाद और भी बढ़ाते हैं...
उनकी खुशियों का कारण बन....
दिवाली खुशियों से मनाते हैं...
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
रंग बिरंगे परिधानों से हम सजते हैं...
वो फटे लबादे में खुद को देख तड़पते हैं...
चलो आज अपने कपड़ों से उनके तन को ढकते हैं...
उनकी खुशियों का कारण बन
दिवाली खुशियों से मनाते हैं...
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
न कोई परिचय है तेरा मेरा
में अनाथ हूँ न दुनिया में कोई मेरा ...
फिर क्यूँ मेरे आगन में दीप जलाता है...
क्यूँ मेरे तन को अपने कपड़ों से ढकना चाहता है..
क्यूँ मुझसे मिलने को आता है..
जब की तेरा मेरा कोई नाता नहीं है ...
फिर क्यूँ मुझसे अपनी खुशियाँ बाँट न चाहता है ...
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
तेरा मेरा कोई तो नाता है ...
तुझे राम ने बनाया मुझे भी राम ही बनाता है...
इंसान ही इंसान के काम आता है...
यही तो इंसानियत का फ़र्ज़ कहलाता है....
दिवाली खुशियों का त्यौहार है..
खुशियाँ बांटने से बढती है ये हमे सदियों से सिखाया जाता है..
खुशियों का लुत्फ़ तो बाँट कर ही उठाया जाता है...
राम अयोध्या लौटे खुशी से खिल उठे हृदय बड़े हो या छोटे..
भाई से भाई का मिलन हुआ तभी तो दीपों का चलन हुआ
भाईचारे का एहसास दिवाली ...
भाईचारा ही हमें सिखाती दिवाली .....
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
चलो आज मिलकर दीप जलाते हैं....
खुशियाँ साथ मिलकर मनाते हैं...
एक दूसरे की ख़ुशी का कारण बन...
दिवाली खुशियों से मनाते हैं...
यही त्यौहार तो है जो हमें साथ ले आता है....
खुशियों को साथ मिलकर मनाने का मौका दे जाते हैं....
दिवाली की अपनी अलग ही बहार है....
दिवाली खुशियों का त्यौहार
फिर क्यूँ उसकी आँखों में ग़मों के आंसू टिमटिमाते हैं....
चलो आज उनके आंसू पोंछ उन्हें भी हँसाते है...
उनकी खुशियों का कारण बन..
दिवाली खुशियों से मनाते हैं...
दिवाली खुशियों का त्यौहार है ......
सारा शहर रोशनी से जगमगाता है...
फिर क्यूँ उसकी कुटिया में अँधेरा नज़र आता है....
चलो आज एक दीप उनकी कुटिया में जलायें....
उनकी खुशियों का कारण बन
दिवाली खुशियों से मनाये....
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
रिश्तों के मेले लगे हैं...
मिलने मिलाने के रेले लगे हैं..
फिर क्यूँ वो अकेले खड़े है..
चलो आज उनसे भी मिल कर आते हैं...
उनकी खुशियों का कारण बन...
दिवाली खुशियों से मनाते हैं.
दिवाली खुशियों का त्यौहार है....
पटाखों की गूंज से ज़र्रा ज़र्रा गूंज रहा है...
फिर क्यूँ उनकी कुटिया में सन्नाटा बिखरा पड़ा है...
चलो आज पटाखों का लुफ्त उनसे भी उठवाते हैं...
चकरी को उनके आँगन में फोड़ते हैं..
अनार से उनके द्वार की रौनक बढ़ाते हैं..
उनकी खुशियों का कारण बन....
दिवाली खुशियों से मनाते हैं....
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
लड्डू जलेबी रसमलाई हमने है बहुत खाई...
वो देख कर हमें दूर से ललचते हैं...
चखने को तरसते हैं आँखों से आंसू बरसते हैं...
चलो आज लड्डू का स्वाद उन्हें भी चखाते
रसमलाई से उनका स्वाद और भी बढ़ाते हैं...
उनकी खुशियों का कारण बन....
दिवाली खुशियों से मनाते हैं...
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
रंग बिरंगे परिधानों से हम सजते हैं...
वो फटे लबादे में खुद को देख तड़पते हैं...
चलो आज अपने कपड़ों से उनके तन को ढकते हैं...
उनकी खुशियों का कारण बन
दिवाली खुशियों से मनाते हैं...
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
न कोई परिचय है तेरा मेरा
में अनाथ हूँ न दुनिया में कोई मेरा ...
फिर क्यूँ मेरे आगन में दीप जलाता है...
क्यूँ मेरे तन को अपने कपड़ों से ढकना चाहता है..
क्यूँ मुझसे मिलने को आता है..
जब की तेरा मेरा कोई नाता नहीं है ...
फिर क्यूँ मुझसे अपनी खुशियाँ बाँट न चाहता है ...
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
तेरा मेरा कोई तो नाता है ...
तुझे राम ने बनाया मुझे भी राम ही बनाता है...
इंसान ही इंसान के काम आता है...
यही तो इंसानियत का फ़र्ज़ कहलाता है....
दिवाली खुशियों का त्यौहार है..
खुशियाँ बांटने से बढती है ये हमे सदियों से सिखाया जाता है..
खुशियों का लुत्फ़ तो बाँट कर ही उठाया जाता है...
राम अयोध्या लौटे खुशी से खिल उठे हृदय बड़े हो या छोटे..
भाई से भाई का मिलन हुआ तभी तो दीपों का चलन हुआ
भाईचारे का एहसास दिवाली ...
भाईचारा ही हमें सिखाती दिवाली .....
दिवाली खुशियों का त्यौहार है
चलो आज मिलकर दीप जलाते हैं....
खुशियाँ साथ मिलकर मनाते हैं...
एक दूसरे की ख़ुशी का कारण बन...
दिवाली खुशियों से मनाते हैं...
यही त्यौहार तो है जो हमें साथ ले आता है....
खुशियों को साथ मिलकर मनाने का मौका दे जाते हैं....
दिवाली की अपनी अलग ही बहार है....
दिवाली खुशियों का त्यौहार